बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं. बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव की तीन आंखें या उनके शस्त्र त्रिशूल का भी प्रतीक माना जाता है.Shiv Puran Katha
भक्ति और श्रद्धा की कथा: बेलपत्र और शिवलिंग Shiv Puran Katha
जब समुद्र मंथन के बाद विष निकला तो भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए ही इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया.
विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी जलने लगा.
चूंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है इसलिए सभी देवी देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया.
बेलपत्र के साथ साथ शिव को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित किया गया.
बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी.
तभी से शिवजी पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी…Shiv Puran Katha
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला ही बेलपत्र चढ़ाएं.
बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित करने से पहले अच्छे से धोकर ही इस्तेमाल करें.
जब भी भोलेशंकर को बेलपत्र चढ़ाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र चढ़ाने के बाद जल जरूर अर्पण करें.Shiv Puran Katha
बेलपत्र चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप भी करें.
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Amulya jankari keliye dil se dhanyawad
Har Har Mahadev
Admin ji Group mein join kre please
बहुत बहुत धन्यवाद गुरुजी
हर हर महादेव🙏🏻